Wednesday, September 23, 2009

आज से क़रीब ३७ दिन पहले
मेरी एक खूबसूरत सूरत मुलाक़ात हुई
डायमंड रूम में बैठे उस ऐनक पहने हसीना से
पहली बार दो बात हुई

बातों में बड़ी सयानी थी
स्मार्ट, कांफिडेंट और दीवानी थी
मैंने सोचा वो हम उम्र होगी
पर बड़ी बातें करती वो
कम उम्र निकली

तब से मैंने उससे जानना शुरू किया
दिन बीतेते पहचानना शुरू किया
कभी छोटी-छोटी बातों से नाराज़ हो जाती
कभी बड़े-बड़े परिहास का उपहास उडाती
कभी मासूम कभी चतुर
चीज़ें सीखने को आतुर

सबका बड़ा ख्याल वो रखती
सबको वो साथ ले चलती
हजारों सपने साथ लिए
निखिल के हाथों में हाथ लिए
बस निकल पड़ी है दुनिया में
कुछ करने को कुछ बनने को
सबसे आगे निकलने को

आज कुछ ३६-३७ दिन बाद
मैं उसे इतना ही समझ पाया हूँ
अभी जानने को और भी है
पहचाननने को और भी है

वक़्त के साथ-साथ
उसके और भी हसीं रंग नज़र आयेंगे
वक़्त के साथ साथ
हम उसे और समझ जायेंगे

अभी तो सब उसके दोस्त हैं
बाद में उसके प्रशंशक बन जायेंगे

बस इतना ही...

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